Friday, October 2, 2009

शरीर और होमियोपैथी

वो जो कम से कम दवा लिखते हैं वो BEST HOMOEOPATH है । यह एक GOLDEN RULE है । कोई जो कि सपफल होमियोपैथिक चिकित्सक बनना चाहता है, उन्हें अनावश्यक दवाओं को देने से बचना चाहिए । ऐसी जगह पर हमें सोचना चाहिए कि ‘‘कब दवा दें’’ और ‘कब’ ना दें । होमियोपैथी में हजारों किताबें मेटेरिया-मेडिका के रूप में हैं, यहाँ तक कि आर्गेनन और पिफलास्पफी, जो हमें दवा PRESCRIBE करने के लिए ‘‘गाईड’’ करते हैं । यह नहीं बता पाते कि कब ‘‘दवा’’ देनी चाहिए । केश नं0-1 एक रोगी अतिसार से पीड़ित हो मेरे पास आया, और बोला कि डाक्टर साहब, आज तीसरा दिन है मै मतैं इसकों भुगत रहा हूँ । दो दिन से यही हाल है, रोज लगभग 25-30 पखाने हो रहें है , बिल्कुल पानी की तरह एवं कभी हज्के पीले । और कुछ खाँउफ, तब तो जरूर जान पड़ता है अगर थोड़ा देर भी हो जाये तो पखाना मेेरे रोकने से नही रूकने वाला है। जब रोगी से पूछा गया कि-तुम परसो ही क्यों नही आ गये ? तो जवाब मिला कि एक तो ना मुझे कही जाने की शक्ति थी और ना ही पखाना मेरे CONTROL में था कि आपके पास 2 घंटा इंतजार करता । तब आज कैसे आ गये-मेरा अगला प्रश्न था । वह बोला-आज मैने ना कुछ खाया और ना कुछ पीया है, इसीलिए पखाना नही लगा है। दो दिन तक बहुत कमजोरी थी, कल से पखाने की बारम्बारता में कमी भी आई है और आज सुबह से कुछ खाने की ईच्छा भी बनी है एवं आज सिपर्फ 3 ही पखाने हुए है । रात को अच्छी नींद के कारण मुझ में चलने की शक्ति भी आई है, इसी वजह से आज आया हूँ। नया सवाल मैने रोगी से पूछा कि क्या तुम्हे सचमुच भूख लग रही है या जबरदस्ती तुम खुद कुछ खाना चाहते हो । नहीं-नहीं, आज सचमुच में 3 दिन के बाद मैने नास्ता किया है । उपरोक्त केस में, अतिसार निश्चित रूप से कुछ IN FACTION के कारण या TOXIN आ जाने के कारण [खाने के साथ या अन्य तरीके से] । अब हुआ यह कि शरीर ने उसको अपने स्तर निष्क्रिय करना चाहा, मगर वह निष्क्रिय नही हुआ, और शरीर उसको सह भी नही पा रहा है, यह चीज अगर शरीर में रहेगा तो शरीर को नुकसान पहुँचा सकता है, तब शरीर अपनी सुरक्षा के मद्देनजर, उस TOXIN को बाहर फेकना शुरू करता है, जो कि हमारे सामने अतिसार के रूप में आया । सत्य यह है कि अतिसार जो पैदा हुआ वह शरीर की अपनी सुरक्षा के कारण हुआ, तभी जाकर शरीर स्वंय ही CURE हो सका । यह CURE तभी आया जब शरीर से TOXIN बाहर निकल गया और उसकी जगह CURE पहुँच गया अेर तब अपने आप ही रोगी अच्छा लगने लगा, कमजोरी कम हुई, अच्छी नींद आयी, पखाना कम जो गया और उसमें शक्ति का संचार हो गया और उसकी भूख भी वापस हो गयी। सामान्यतः स्वास्थ्य का यही मापदंड है कि काम करने की ईच्छा जगे, काम करने की शक्ति आ जाये खाना खाने की स्वतः ईच्छा हो ना कि जबरदस्ती और इन सभी से ज्यादा महत्वपूर्ण है नींद का आना । अगर यह सभी कुछ हो रहा हो तो अब यह कहने कि जरूरत ही नही कि पखाना रूक जायेगा। नही-नही ‘‘पखाना रूक जाना’’ यहाँ सही शब्द नही हे बल्कि यह कहना ठीक होगा कि अब 24 घंटो के अन्दर पखाना सामान्य हो जायेगा । अब इस रोगी को सिपर्फ PL देकर कहना होगा कि जाओ, तुम्हारा पखाना कल से सामान्य हो जायेगा । आपकी भविष्यवाणी सच हो सकती है, अगर आप PHYSIOLOGY OF MAN को ठीक से समझते है, तो । आपके रोगी के अन्दर भी एक डाॅक्टर है, उसको भी आपको सम्मान देना होगा। अगर वह रोगी को CURE की पथ पर ले जा रहा है, तो किसी को भी हक नही है, उसमें व्यवधन डालने का , चाहे वह होमियोपैथ हो अथवा एलोपैथ । क्योंकि वह जानता है कि शरीर के लिए उत्तम क्या है ? केस न0-2 एक बच्चे को 4 दिन से बुखार था, जिसे मेरे पास ईलाज के लिए लाया गया । बच्चा सुस्त था, रात को बुरी तरह खांसी आती थी, साथ ही थोड़ा-थोड़ा पानी की प्यास । जब इस बच्चे को होमियोपैथी एवं ऐलोपैथी से ईलाज के पहले लाया जाता तो आप कौन सी दवा देते उसे, लेकिन उसेे इसी स्थिति में दवा की जरूरत है? सबसे पहले यह जानना होगा कि बुखार पिछले 3 दिनों में कभी उतरा था या नही ? दुसरी बात का पता लगायेगें कि क्या इसके क्रियाशीलता में कोई कमी आयी है या नही ? तीसरी बात - क्या बच्चा कुछ खाने के लिए माँग कर रहा है या नहीं ? अगर हाँ तो बच्चा निश्चित रूप से CURE की दिशा में अग्रसर हो गया है । अगर बच्चा कल की अपेक्षा आज खेल रहा है और खाने के लिए मांग कर रहा है, तो इसका सापफ मतलब है कि बच्चा अपने-आप स्वस्थ हो रहा है ;अगर अभी बुखार है भी तोद्ध अगर इस स्थिति में ऐलोपैथ को बुलाकर VIRAL INFECTION के लिए कोई दवा दी जा रही है तो यह अपराध् है । इस स्थिति में कोई भी दवा की जायेगी तो बच्चे कोेे बुखार के साथ नई बीमारी शुरू हो जायेगी और RECOVERY दूर चली जायेगी । हमें व्यक्ति के INTERNAL CURATIVE MECHANISM का सम्मान करना चाहिए। SINGLE REMEDY SINGLE DOSE अगर आप चाहते है कि आपकी चिकित्सा से चमत्कार हो, अगर इसे स्वंय अपनी आँखो के सामने देखना चाहते है, अगर आप टायपफाइड बुखार को 24 घंटे में खत्म करना चाहते हैं, अगर निमोनिया को 48-72 घंटो में ठीक करना चाहते हो, [RADIOLOGICALLY], अगर पेशाव के 100-135 पस-सेल्स को 48 घंटो के भीतर गायब देखना चाहते हो, या अगर अपनी चिकित्सा से एलोपैथों को आश्चर्यचकित कर देना चाहते हो, तो इसका सिपर्फ और सिपर्फ एक ही रास्ता है- ‘‘सदृश औषध् िकी एक मात्रा’’ वो चिकित्सक जो बुखार के कई दवाओं के मिश्रण, पेटेन्ट और वायो कम्बीनेशन देते है, या अतिसार के लिए एलो, पोडो, क्रोटोन टिग0 वो होमियोपैथिक सिद्धान्त या सिमिलिया, सीमिलिवस, क्यूरेन्टर के अनुसार चिकित्सा नहीं है अब उन्हे एक सच्चा प्रयास के लिए अग्रसर होना चाहिए और होमियोपैथी के प्रति न्याय करना चाहिए । एक रोगी को 3 बजे सुबह जाड़ा लगकर 4 बजे बुखार हो गया, इसके साथ ही ठंडे पानी की प्यास भी जाड़ा लगने के साथ ही है, पिफर जाड़ा बन्द हो गया, बुखार भी गायब हो गया, परन्तु भयंकर सिरदर्द शुरू हो गया, रोगी सुस्त हो गया, एवं नींद खत्म हो गयी । पंखा चाहता है, परन्तु किसी हड्डी में दर्द नही और ना ही शरीर में कोई शिकायत भी नही करता । अब इस केस को ANALYSIS एवं REPERTORISE करते है ।

1. CHILL AT 3 AM : NIGHT MID NIGHT AFTER 3 HOURS ON WALKING - ONLY FERR.

2. CHILL, NIGHT, MID NIGHTAFTER: ARS,CALAD, HEP, OP, THUJA, COFF, DROS, MAG-S, MANG, MERC, MEZ, PETR, SIL, SUL.

3.CHILL [CHAPTER] - TIME 3 HOURS- ALOE, AM-M, CAUST, CEDRON, CINNI, CINA, EUP PERF, FERR, LYSS, N-MUR, RHUS TOX, SIL, YHIYA

4. SOME RUBRICS - 3AM : ARS [COMPLETE REP.] 3-5 AM - KALI CARB [COMPLETE -REP.]

5. FEVER[CHAPTER]: SUCCESSION OF STAGE CHILL FOLLOWED BY HEAT - 78 DRUGS

अब आप स्वंय देख रहें है, इन रूबरिक देखकर ही मन भ्रमित हो जा रहा है, अब आप अपने रोगी को कौन सी दवा देंगे और क्या ठीक करेंगे? अन्य जो छोटे RUBRICS इसके साथ दिखेंगे वो है, पसीना के साथ वृ(ि, जाड़ा के पहले गर्मी लगना, पसीना के बाद प्यास, वगैरह-वगैरह, ये तो हमें और CONFUSE कर दे रहें है । अलग-अलग रेपर्टरी के अलग VERSIONS में भिन्न-भिन्न दवाएँ नजर आती है । अब बेचारा होमियोपैथ क्या करे? पिफर वो सबको छोड़कर 2, 4 या 6 दवाओं का समिश्रण तैयार करता है । जिन दवाओं में मुख्य रूप से ठण्ड, गर्मी, प्यास होती है इनको 2 - 2घंटे पर देने का आदेश देता है, पिफर ध्ीरे-ध्ीरे रोगो की तकलीपफ 3-4 दिनों में कम जो जाती है और होमियोपैथ खुश हो जाता है कि उसकी दवा ने बुखार ठीक कर दिया और उसने रोगी को ऐलोपैथ के पास जाने से बचा लिया । यह होमियोपैथ जान ही नही पाता है कि मिश्रण ने VIRAL या BACTERIAL INFECTION को अन्दर ही दवा दिया है, जो कि अपने COURSE के अनुसार चल रहा है और कुछ समय बाद वह पिफर वापस आ जायेगा । जब मैने अपनी होमियोपैथिक कैरियर का शुरूआत किया था तो इन सभी का प्रयोग किया था, अपने आत्म विश्वास को वापस पाने के लिए सभी को आजमाया था, कई दवाएँ व कई-कई बार रिपीटिशन करता था जिसका परिणाम यह होता था कि केस ऐलोपैथों के पास चला जाता था, जो कि यह कहते हुए जाते थे कि सीरियस बीमारियों का ईलाज होमियोपैथी में है ही नहीं । हममें से सभी के साथ ऐसा ही हुआ है, लेकिन एक बात हम सभी मानते एवं जानते है कि किसी भी स्थिति होे और कैसी भी परिस्थिति हो, अगरRIGHT SIMILIMUM दवा मिल जाती तो एक केस भी हमारे पास से कहीं भी नही जाने वाला था। अगर हमें रोगग्रस्त रोगी का ईलाज करते, ना कि रोगी में ग्रसित बीमारी का । सही मानिए, अगर इस एक लाईन को सही तरह ‘‘इसके भाव के साथ’’ समझ गयें, तो पिफर कोई रोग हमसे बच नही सकता और ना हमें डरा सकता है, क्योकि अब हमें रोग नही रोगी दिखाई देने लगेगा । तब ही हम अपनी चिकित्सा में रोगी के साथ, होमियोपैथी के साथ और साथ ही अपने साथ भी न्याय कर सकेंगे । ये चीजें हमारी उत्साह और साहस बढ़ाने वाली है, आइये, हम बीमारी से लगें । हमें ध्यान रखना होगा, आज की नई MODERN MEDICINE को देखिये, जिसमें ‘‘टीकाकरण’’ भी है, यह होमियोपैथिक सि(ान्त की देनें है, इसमें जरा भी संदेह नही होना चाहिए। अब करोड़ रूपये का सवाल यह है कि अगर ऐलोपैथ, होमियोपैथिक सि(ान्त को अपना सकते है जैसे कि TUBERCULOSIS से रक्षा के लिए TUBERCULAR BACILLI को रोगी को देते है और TETANOUS TOXID को TETANOUS ठीक करने में उपयोग कर है, और वो भी बार-बार नही बल्कि 3-3 महीनों पर एक खुराक का डोज देते है और जिससे इन्सान स्वस्थ रहता है, तो क्यों नही हम होमियोपैथ अपने ‘‘सि(ान्तों’’ पर भरोसा करते है? जब एक ऐलोपैथ एकल औषध्ी सि(ान्त एवं एक डोज पर विश्वास करने लगे है पिफर हम इन सबके बाद, किसी रोगी की रक्षा करने के लिए 1 या 2 दवाओं की एक साथ क्यों जरूरत पड़ती है? जिनका की सि(ान्त ही है, एक दवा और एक खुराक । आईये, वापस अपने केस पर चलते है, यहाँ इस केस में ठण्ड, ठण्ड का समय या ठण्ड का प्रकार, सिरदर्द पसीना का समय ये महत्वपूर्ण तो है पर ज्यादा नही । यह जाड़ा और कपकपी सिपर्फ बीमारी का एक लक्षण है और एक साधरण प्रक्रिया है, गर्मी उत्पन्न होने के एहसास का । यह अपने आप ही पैदा होता है, जब कोई व्यक्ति रोग के गिरपफत में होता है । CHILL औरSHIVERING का उत्पन्न होना को मान लें शरीर की एक ऐसी प्रक्रिया जिसके कारण गर्मी उत्पन्न होने की व्यवस्था शुरू हो रही है । ऐसा इसलिए होता है कि शरीर जड़त्व पैदा कर, गर्मी उत्पन्न करता है क्योंकि शरीर उस गर्मी से BACTERIA या VIRUS या PARACITE को खत्म करना चाहता है । यह शरीर की अपनी व्यवस्था है, अपने आप को बचाने के लिए। इसमें कोई संदेह नही है कि अलग-अलग व्यक्ति में अलग तरह की सुरक्षा की व्यवस्था होती है, पर इस रोगी की रेपर्टरी से दवा SELECT करना सही नही हो सकता हे बल्कि CONFUSION बढ़ा रहा है । अगर इन सबको ध्यान में नही रखेंगे तो क्या दवा PRESCRIBE करेंगेे । हम लोग रोगी व्यक्ति के ईलाज में ध्यान दें व्यक्ति या उसके व्यक्तित्व में जो परिवत्र्तन आया है, उसे समझे तभी SIMILIMUM दें सकेंगे । NO DOUBT , प्रत्येक लक्षण, चाहे वो दर्द हो या जाड़ा या किसी तरह का बुखार, यह रोगी व्यक्ति का प्रतिनिध्त्वि करते है, लेकिन इसके कुछ और भी प्रतिनिध् िजो इसका प्रतिनिध्त्वि करते हैं और ये होते हैं, मुख्य प्रतिनिध् िजो VITAL FORCE के है । पर नयी बीमारी में जिसको की अन्य मुख्य लक्षणों के साथ जोड़कर SIMILIMUM तक पहुँचाते है ।

डा० अशोक गुप्ता

होमियोपैथिक माईन्ड july-sept 200

5 comments:

  1. एग्रीगेटरों के द्वारा अपने ब्लॉग को हिंदी ब्लॉग जगत परिवार के बीच लाने पर बधाई।

    विषय आधारित सार्थक लेखन हमेशा सराहना पाता है।
    लेख अगर पैराग्राफ में बटें हों तो पाठकों की रूचि बनी रहती है।

    मेरी शुभकामनाएँ

    बी एस पाबला

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  2. जारी रहिएगा। इंतजार बना रहेगा।

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  3. स्वागत है ।

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    गुलमोहर का फूल

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  4. ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है

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