Homoeopathy Doctor Manoj Rajoria elected to Indian Parliament
Homoeopathy Doctor Manoj Rajoria BHMS, MD (Hom) has been elected to Indian Parliament
Whole Homoeopathic Fraternity in India is proud of Dr.Manoj Rajoria from Rajasthan.
We congratulate you on your success and becoming MP, You will be the voice of thousands of Homoeopaths in the Parliament. You are a dedicated Homoeopath and we know you will work for Homoeopathy too.
Dr Manoj Rajoria, Candidate of 15th Lok Sabha, Affiliated to Bharatiya Janata Party (BJP) serving Karauli Dholpur (RJ) Lok Sabha Constituency.
He took his BHMS from Dr. M.P.K. Homoeopathic Medical College Jaipur
Post Graduate Homoeopathy from Rajasthan University in 2006
Mobile Phone : 096 67 211234
Website : http://www.drmanojrajoria.com
Source : homeobook.com
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Posted in AYUSH, आयुष, होम्योपैथिक समाचार, होम्योपैथी, Homeopathic education, HOMEOPATHY, Homeopathy News
होम्योपैथिक क्लीनिकल प्रतिष्ठानों के लिए क्लीनिकल प्रतिष्ठान अधिनियम के तहत न्यूनतम मानकों का ड्राफ्ट समीक्षा के लिये उपलब्ध
स्वास्थ्य
और परिवार कल्याण मंत्रालय ने क्लीनिकल प्रतिष्ठानों के लिए क्लीनिकल
प्रतिष्ठान अधिनियम के तहत न्यूनतम मानकों का ड्राफ्ट समीक्षा के लिये
तैयार किया है । यह अधिनियम व्यक्तिगत होम्योपैथिक क्लीनिक ( एकल
चिकित्सको द्वारा संचालित ) और होम्योपैथिक चिकित्सको द्वारा संचालित
नर्सिंग होम दोनो पर लागू होगा। ड्राफ़्ट अभी समीक्षा के लिये है और इसके
लिये चिकित्सकों और आम पब्लिक से भी सुझाव माँगे गये है ।
Download Homeopathy Draft
होम्योपैथिक चिकित्सकों से अनुरोध है कि इन मानकों को ध्यान पूर्वक पढें और 20/04/2014 से पहले अपने सुझाव / टिप्पणी / संशोधन डा अनिल कुमार ( सी.एम.ओ. ) कक्ष नं. 506 ‘डी’ विंग , 5 वीं मंजिल , निर्माण भवन , नई दिल्ली 110018 पर या उनके ई मेल आई डी dr.anilkumar@nic.in पर भेज दें । इन सुझावों की दूसरी कापी nsdharmshaktu@yahoo.com को भी प्रेषित अवशय करें ।
ज्ञात हो हाल मे ही उत्तर प्रदेश मे २८ फ़रवरी २०१३ से लागू भारत सरकार के क्लीनिकल प्रतिष्ठान (पंजीकरण और नियमन) अधिनियम, 2010 ने कम पूँजी वाले चिकित्सकों की नींद उडा दी है । हाँलाकि यह सरदर्द मात्र होम्योपैथों के लिये नही बल्कि मेडिकल सेवा मे आने वाले हर उस प्रतिषठान की है जिसमॆ एलोपैथिक चिकित्सक , डेन्टल चिकित्सक, डाइगनोस्टिक सेन्टर और आयुष पद्दतियों के सभी चिकित्सक शामिल हैं । एक बार राज्यों द्वारा अपनाने पर इस अधिनियम के अनुसार, राज्य सरकारें क्लीनिकल प्रतिष्ठानों के पंजीकरण के लिए प्रत्येक जिले में पंजीकरण प्राधिकरण की स्थापना करेंगी। किसी भी चिकित्सक को क्लीनिकल प्रतिष्ठान चलाने के लिए इस अधिनियम के प्रावधानों का पालन करना होगा। अधिक जानकारी के लिये http://clinicalestablishments.nic.in/ पर जायें ।
संक्षिप्त में इस एक्ट के अनुसार अब सरकार यह तय करेगी कि क्लीनिक चलाने के लिये आपके पास पर्याप्त जगह हो , प्रक्षिक्षत स्टाफ़ हो , क्लीनिक में शौचालय की व्यवस्था हो , आपातकालीन परिस्थितियों में अगर रोगी का इलाज क्लीनिक मे नही हो सकता है तो उसे पास के अस्पताल तक पहुँचाने के लिये एम्बुलेसं हो , आदि-२ । C.M.O. के पास यह अधिकार होगा कि अगर चिकित्सक एक्ट का पालन नही करता है तो उस पर पहली बार १०००० रु. , दूसरी बार ५०००० रु और तीसरी और अन्तिम बार ५ लाख रु तक का जुर्माना लगाया जाय । एक्ट के अनुसार यदि चिकित्सक मेडिकल सेवा के अलावा और किसी कार्य /कारोबार मे लिप्त पाया जायेगा तो उसे दुराचार ( misconduct ) की संज्ञा दी जायेगी :) विस्तृत जानकारी के लिये यहाँ देखें ।
यह सिस्टम आयुष पद्दति के चिकित्सकों के लिये आघात से कम नही है । अगर देखा जाये तो ऐलोपैथिक के प्रावाधानों को होम्योपैथिक व अन्य आयुष पदद्तियों मे डालने का यह जबरन प्रयास है ।
Ministry of Health and Family welfare has asked for review of Draft of Minimum standards for Clinical Establishments under Clinical Establishments Act.
Remember
This is everything on Homeopathy individual clinics and hospitals
Kindly go through the minimum standards in Homeopathy carefully and give your suggestions/comments/amendments before 20/04/2014
National Council for Clinical Establishments under the Chairmanship of Director General of Health Services, Government of India in consultation with various stakeholders has prepared draft minimum standards for various categories of Clinical Establishments for implementation of the Clinical Establishments Act.
The comments, suggestions, objections, including deletions /additions if required in the draft documents are invited from public at large, including the stakeholders like hospitals and other clinical establishments, consumer groups etc.
The comments may kindly be sent to Dr. Anil Kumar, CMO(AK) Room No.506 ‘D’ Wing, 5th Floor, Nirman Bhawan, New Delhi-110018 at his email- id dr.anilkumar@nic.in with in one month of publication of this Notice on the website.
A copy of the same may also be endorsed to nsdharmshaktu@yahoo.com
Note : The Indian Public Health Standards(IPHS) four Sub-centre, PHC, CHC, Sub-district/Sub-divisional hospital and District hospital are already approved documents. The comments are being invited only on the draft minimum standards and not on the IPHS.
Download Homeopathy Draft
होम्योपैथिक चिकित्सकों से अनुरोध है कि इन मानकों को ध्यान पूर्वक पढें और 20/04/2014 से पहले अपने सुझाव / टिप्पणी / संशोधन डा अनिल कुमार ( सी.एम.ओ. ) कक्ष नं. 506 ‘डी’ विंग , 5 वीं मंजिल , निर्माण भवन , नई दिल्ली 110018 पर या उनके ई मेल आई डी dr.anilkumar@nic.in पर भेज दें । इन सुझावों की दूसरी कापी nsdharmshaktu@yahoo.com को भी प्रेषित अवशय करें ।
ज्ञात हो हाल मे ही उत्तर प्रदेश मे २८ फ़रवरी २०१३ से लागू भारत सरकार के क्लीनिकल प्रतिष्ठान (पंजीकरण और नियमन) अधिनियम, 2010 ने कम पूँजी वाले चिकित्सकों की नींद उडा दी है । हाँलाकि यह सरदर्द मात्र होम्योपैथों के लिये नही बल्कि मेडिकल सेवा मे आने वाले हर उस प्रतिषठान की है जिसमॆ एलोपैथिक चिकित्सक , डेन्टल चिकित्सक, डाइगनोस्टिक सेन्टर और आयुष पद्दतियों के सभी चिकित्सक शामिल हैं । एक बार राज्यों द्वारा अपनाने पर इस अधिनियम के अनुसार, राज्य सरकारें क्लीनिकल प्रतिष्ठानों के पंजीकरण के लिए प्रत्येक जिले में पंजीकरण प्राधिकरण की स्थापना करेंगी। किसी भी चिकित्सक को क्लीनिकल प्रतिष्ठान चलाने के लिए इस अधिनियम के प्रावधानों का पालन करना होगा। अधिक जानकारी के लिये http://clinicalestablishments.nic.in/ पर जायें ।
संक्षिप्त में इस एक्ट के अनुसार अब सरकार यह तय करेगी कि क्लीनिक चलाने के लिये आपके पास पर्याप्त जगह हो , प्रक्षिक्षत स्टाफ़ हो , क्लीनिक में शौचालय की व्यवस्था हो , आपातकालीन परिस्थितियों में अगर रोगी का इलाज क्लीनिक मे नही हो सकता है तो उसे पास के अस्पताल तक पहुँचाने के लिये एम्बुलेसं हो , आदि-२ । C.M.O. के पास यह अधिकार होगा कि अगर चिकित्सक एक्ट का पालन नही करता है तो उस पर पहली बार १०००० रु. , दूसरी बार ५०००० रु और तीसरी और अन्तिम बार ५ लाख रु तक का जुर्माना लगाया जाय । एक्ट के अनुसार यदि चिकित्सक मेडिकल सेवा के अलावा और किसी कार्य /कारोबार मे लिप्त पाया जायेगा तो उसे दुराचार ( misconduct ) की संज्ञा दी जायेगी :) विस्तृत जानकारी के लिये यहाँ देखें ।
यह सिस्टम आयुष पद्दति के चिकित्सकों के लिये आघात से कम नही है । अगर देखा जाये तो ऐलोपैथिक के प्रावाधानों को होम्योपैथिक व अन्य आयुष पदद्तियों मे डालने का यह जबरन प्रयास है ।
- इस एक्ट को समीक्षा के लिये डालने की आवशयकता भी इसलिये पडी क्योकि यदि होम्योपैथी क्लीनिक पर एलोपैथी के मानक तय किये जायेगें तो क्लीनिक खोलना और चलाना कठिन हो जायेगा।
- इस एक्ट मे होम्योपैथिक के अधिकारियों एवं संस्थाओं तथा प्रतिनिधियों को समुचित स्थान नही दिया गया है तथा जिला स्तर पर भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व नही है जिससे होम्योपैथिक चिकित्सकों के हितों की अनदेखी हो सकती है ।
- एक्ट के अंतर्गत गठित होने वाली नेशनल कांउनसिल एवं जिला कमेटियों में एलोपैथी की प्रोफ़ेशनल संन्स्थाओं , अधिकारियों एवं प्रतिनिधियों को अधिक प्रतिनिधित्व दिया गया है परतुं नेशनल कांउनसिल मे भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के तीन सदस्यों को स्थान दिया गया है जबकि केन्द्रीय होम्योपैथिक परिषद के मात्र एक प्रतिनिधि को स्थान मिला है ।
- होम्योपैथिक चिकित्सक के लिये प्रशिक्षित स्टाफ़ उपब्ध हो पाना भी संभव नही है क्योंकि होम्योपैथी मे फ़ार्मासिस्ट का कोई अधिकृत प्रशिक्षण नही है ।
Ministry of Health and Family welfare has asked for review of Draft of Minimum standards for Clinical Establishments under Clinical Establishments Act.
Remember
This is everything on Homeopathy individual clinics and hospitals
Kindly go through the minimum standards in Homeopathy carefully and give your suggestions/comments/amendments before 20/04/2014
National Council for Clinical Establishments under the Chairmanship of Director General of Health Services, Government of India in consultation with various stakeholders has prepared draft minimum standards for various categories of Clinical Establishments for implementation of the Clinical Establishments Act.
The comments, suggestions, objections, including deletions /additions if required in the draft documents are invited from public at large, including the stakeholders like hospitals and other clinical establishments, consumer groups etc.
The comments may kindly be sent to Dr. Anil Kumar, CMO(AK) Room No.506 ‘D’ Wing, 5th Floor, Nirman Bhawan, New Delhi-110018 at his email- id dr.anilkumar@nic.in with in one month of publication of this Notice on the website.
A copy of the same may also be endorsed to nsdharmshaktu@yahoo.com
Note : The Indian Public Health Standards(IPHS) four Sub-centre, PHC, CHC, Sub-district/Sub-divisional hospital and District hospital are already approved documents. The comments are being invited only on the draft minimum standards and not on the IPHS.
Cashews Are A Natural Anti-Depressant
2 handfuls of cashews is the therapeutic equivalent of a prescription dose of Prozac. Inside you, the essential amino acid L-tryptophan is broken down into anxiety-reducing, snooze-inducing niacin. Even more important, tryptophan is also made into serotonin, one of your body’s most important neurotransmitters. Serotonin gives a feeling of well-being and mellowness, or as the Australians would say, “no worries.” This is such a profound effect that Prozac, Paxil and similar antidepressants usually either mimic serotonin or artificially keep the body’s own serotonin levels high. You can do the same thing with your food. And no one can tell us that beans, peas, cheese, nuts and wheat germ are toxic if you eat a lot of them!
Plenty of carbohydrates (starches) in your meals help tryptophan get to where it does the most good: in your brain. In order to cross the blood-brain barrier to get in, carbos are required. So cheese and crackers provides a better effect than the cheese standing alone. An egg or two on toast is better than just the egg. Beans, peas, and nuts already contain carbohydrate, so you are all set there.
Consider that five servings of beans, a few portions of peanut butter, or just one big handful of cashews provides one to two thousand milligrams of tryptophan, which will work as well as prescription antidepressants… but don’t tell the drug companies. Some skeptics think that the pharmaceutical people already know. Here are two quotes in evidence:
“Pay careful attention to what is happening with dietary supplements in the legislative arena… If these efforts are successful, there could be created a class of products to compete with approved drugs. The establishment of a separate regulatory category for supplements could undercut exclusivity rights enjoyed by the holders of approved drug applications.” (Source: FDA Deputy Commissioner for Policy David Adams, at the Drug Information Association Annual Meeting, July 12, 1993)
Read the whole article :
http://www.thebuddhistvision.com/cashews-are-a-natural-anti-depressant/
Post Graduate Courses after BHMS | Homeo Book
B.H.M.S. पूरा करने के बाद post graduste courses की एक वृहद लिस्ट
को शेऐर कर रहे है डा. मंसूर अली और डा. शिव कुमार , देखे :
Post Graduate Courses after BHMS | Homeo Book.
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Post Graduate Courses after BHMS | Homeo Book.
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DR. SAMUEL HAHNEMANN, M.D. (7)
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