प्रथम सोपान्
गुरूरूब्रह्मा गुरूरूविष्णु गुरूरूदेवोमहेश्वररू ।
गुरूरूसक्षात परमब्रह्म तस्मै श्रीगुरूवेरू नमरू ।।
यह किताब रेपर्टरी के प्रेक्टिकल टिप्स पर आधारित है। किसी को भी इसे रेपर्टरी वर्क समझने की भूल से बचना चाहिए ।
यह मेरे प्रेक्टिकल अप्रोच से पूर्ण है, जिनके द्वारा मैं किसी रोगी की similimum Remedy तक पहुँचता हूँ।
इसमें वे महत्वपूर्ण टिप्स है, जिनका मैं इस्तेमाल करता हूँ,किसी रिमेडी के बारे में जानने के लिए और रोगी के बीमारी में सादृश्यता के लिए ।
यह Method, जिसे मैं similimum के लिए इस्तेमाल करता हूँ, वो डा० हैनिमैन के organon से ही लिया है, जिसमें उन्होंने मुझे सिखाये है कि किसी रोगी की चिकित्सा में
१. एक सच्चा होमियोपैथ Cause of Disease को आधार मानता है ;(सूत्र २०५ आर्गेनन)
2.यह रोगी की मानसिक प्रवृति ही है, जो कि होमियोपैथिक दवाओं के चुनाव में मुख्य आधारशिला बनती है ;(सूत्र २११ ओर्गेनन)
दुसरी बात, मेरे रोगियों प्रति, आभार प्रकट करता हूँ, जिन्होंने मेरे उपर श्रधा एवं विश्वास रख कर चिकित्सा करायें,
जिनसे अपार अनुभव प्राप्त कर सका और समझ सका कि ष्सफल होमियोपैथिक चिकित्सा कैसे की जा सकती है।
इसलिए मेरा पहला श्रधा सुमन डा० हैनिमैन रचित आर्गेनन एवं दूसरा श्रधा.पुष्प रोगियो को अर्पित है क्योंकि वे वही रोगी है,
जिन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से मेरी सहायता किये हैं, जिनके कारण, मैं रूबरिक्स ;रिपर्टरी और मेटेरिया मेडिका कांे बेहतर से बेहतर तरीके से समझ सका और मारात्मक रोगों में भी असाधारण सफलता अर्जित कर सका ।
मैं खास तौर से, प्रो० डा० जगदीश नारायण सिंह, डा० पी० के० चौधरी. डा० आर० पी० सिंह, डा० सुनील कुमार, डा० राजन द्विवेदी, डा० कविता, डा० आकांक्षा, डा० ललित पाहवा, डा० हिमानी को धन्यवाद देना चाहूँगा।
इन सभी ने इस पुस्तक के लेखन में भरपुर सहयोग दिया ।
यह मेरा प्रयास है कि मैं उन चीजों को सामने लाँउ, जिन्हे मैं किसी रोगी की चिकित्सा के दौरान मेरा दिमाग में उभर कर आती है। What is my actual thought process when a patient comes and sit in front of me iswhat I am trying to convey through this Book"SEHGAL METHOD OF HOMOEOPATHY"
इस किताब के लेखन में जिन.जिन ग्रन्थों का सहयोग मिला, उनसे मैं आभारित हूँ जिनका नाम ना लिखना कृतध्नत्ता होगी और अंत में, मैं अपने परिवार के सदस्यों के प्रति भी धन्यवाद प्रेषित करता हूँ जिन्होंने इस किताब के लेखन के दौरान आये हुए परेशानियों को मुझ तक पहुँचने नही दिया
Friday, March 4, 2011
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बहुत-बहुत बधाईया स्वीकार किजियेगा डाक्टर साहेब, क्या प्रस्तुत पुस्तक सेल के लिये उपलब्ध है? यदि हा तो मोड ओफ़ पेमेन्ट आदि के बारे मे लिखियेगा,और CROSS REFERENCES MIND BY-Dr.Farokh & Dr.jawahar shah का हिन्दी सन्स्करण कहि उपलब्ध हो तो उसकि भी जानकारी दिजीयेगा।
ReplyDeleteधन्यवाद
Dr.B.Gupta,B.H.M.S.
ashramhomoeocare@gmail.com