होम्योपैथी: मिथ्य और सच्चाई
होम्योपैथी एक उत्तम चिकित्सा प्रणाली है जिस में उन बिमारियों का भी इलाज किया जा सकता है जो आध्ुनिक मैडीकल साईंस करने में असमर्थ रहती है। जरुरत है कि मरीज अपनी बीमारी को पूरी तरह ब्यान करे और डाक्टर अच्छी तरह जांच पड़ताल करके उसके लिए एक दवाई का चुनाव करे जो उसके मानसिक लक्षणों को भी महत्ता दे। होम्योपैथी प्रणाली के बारे काफी गल्त धरणाएं प्रचलित हैं। आज उन अलग अलग धरणाओं पर विचार करेंगे और क्या सच्चाई है, यह जानने की कोशिश करेंगे।
1. सब से पहली धरणा तो यह है कि होम्योपैथी धीरे-ध्ीरे असर करती है। अक्सर मरीज कहते हैं कि हम होम्योपैथी इस लिए नहीं लेते क्योंकि इस का असर बहुत देर बार होता है।
सच्चाई: यह धरणा बिल्कुल गलत है। यदि मरीज Acute [rqjar] अभी हुई बीमारी से पीड़ित होकर आया है तो एक ही पुड़ी उस को रोग मुक्त कर सकती है। बुखार, खांसी, फोड़े फिंसीयों के केसों में हम बहुत बार देखते हैं कि सिर्फ एक ही दवाई 2-3 दिन खाने से मरीज ठीक हो जाता है। पर यदि हमारे पास मरीज ही अपनी बीमारी की आखरी सटेज पर आता है ;जो कि अक्सर देखने में आता हैद्ध और होम्योपैथी को सिर्फ परखने की कोशिश करता है कि बाकी दवाईयां तो बहुत खा ली हैं, चलो होम्योपैथी भी लेकर देख लें, तो यह कैसे सोचा जा सकता है कि इतने वर्ष तो बाकी दवाईयां खा-खा कर शरीर में उन दवाईयों ने घर कर लिया और अब होम्योपैथी की एक पुड़ी जादू दिखा दे। यदि बीमारी पुरानी है तो कुछ समय देना पड़ेगा, होम्योपैथी के ईलाज के लिए। पर इस में भी हमने देखा है कि पुरानी बीमारियों में भी कई बार तुरंत आराम मिल जाता है।
2. होम्योपैथी को एक ऐसी चिकित्सा प्रणाली माना जाता है जिस में सिर्फ पुरानी और लम्बे समय से चली आ रही बीमारियों का इलाज किया जाता है।
सच्चाई: यह धरणा बिल्कुल गलत है। इस में हरेक बीमारी यदि वह नई हो ;भाव थोड़े समय से उत्पन्न हुई होद्ध या पुरानी हो, दोनों का ही ईलाज सम्भव है। बल्कि जितनी बीमारी पुरानी होती है, उस का ईलाज उतना लम्बा हो सकता है और जितनी नई उतना ईलाज भी आसान होता है और मरीज कुछ दिनों में ही ठीक हो जाता है।
3. होम्योपैथी के बारे में यह धरणा प्रचलित है कि यह सिर्फ मीठी-मीठी छोटी गोलियां हैं जो छोटे मोटे रोग बुखार, जुखाम, खांसी आदि ही ठीक कर सकती हैं। सच्चाई: यह धरणा भी बिल्कुल गलत है। कौन कहता है कि बड़ी बीमारियों का ईलाज होम्योपैथी में नहीं है। यदि हम आज इंटरनैट पर ढूंढें तो बहुत डाक्टरों ने उन बीमारियों के ईलाज करके अपनी वैबसाईट पर केस डाले हुए हैं जिन के बारे मार्डन साईंस के पास कोई ईलाज नहीं है। आओ अपनी सोच को आगे बढ़ाएं, बात दरअसल यह है कि हम यह सोच नहीं सकते कि होम्योपैथी दिल, जिगर और गुर्दों आदि के भयानक रोग भी ठीक कर सकती है। फर्क हमारी सोच का है। कमी सिसटम में नहीं, हमारी सोच में है। यदि किसी बीमारी के ईलाज मार्डन साईंस के पास नहीं तो होम्योपैथी को अपनाओ। एक बढ़िया तरीके से ईलाज करवाओ, इस को परखो मत। पूरे विश्वास से दवाई लो।
4. कई मरीज यह समझते हैं कि वह होम्योपैथी इस लिए नहीं लेते क्यों इस में खाने-पीने पर बहुत बंदिशें लग जाती हैं।
सच्चाई: यह धरणा भी बिल्कुल गलत है। बहुत नई-नई खोजें हो रही हैं। जब हम मानसिक लक्षण लेकर मरीज को दवाई देते हैं तो हम कभी भी कोई भी प्रहेज नहीं बताते। देखना सिर्फ यह होता है कि अगर मरीज किसी खास वस्तु से अलर्जी है या किसी खास चीज के प्रति संवेदनशील है तो वह मरीज उस वस्तु को न ले। यह बिलकुल गलत है कि हरेक मरीज प्याज, लहसन, सौंफ, कौफी या ज्यादा तेज पदार्थ न ले। सिर्फ वह वस्तु बंद की जाती है जिस के लिए मरीज संवेदनशील है या जिस चीज से उसको अलर्जी होती है या जिस चीज से मरीज की तकलीफ बढ़ती है जैसे शूगर के मरीजों के मीठी चीजों का प्रहेज करना। मैंने तो अपने 25 वर्षाें के तजुर्बे में यही देखा है कि जब दवाई का चुनाव सही होता है तो वह हर हालत में असर करती ही करती है। यहां एक बात ओर महत्वपूर्ण बताने योग्य है कि जिस चीज से कोई दवाई बनी होती है, उस दवाई के सेवन में वह चीज भौतिक रुप में लेनी बंद की जाती है। जैसे यदि कोई प्याज या लहसन से या हिंग से बनी है तो उसी खास दवाई से वह चीज बंद की जाती है क्योंकि जब होम्योपैथी दवाई बनाई जाती हैं तो इन में मूल तत्व के बहुत कम या नामातर ही अंश रह जाते हैं। इसी लिए यह पोटैंटईज होती हैं और Dynamic रुप में असर करती मानी जाती हैं।
5. माना जाता है कि होम्योपैथी में ईलाज बहुत लम्बा होता
: यह धरणा बिलकुल गलत है। पहले पहरे में विस्तार पूर्वक बताया जा चुका है कि ईलाज लम्बा नहीं होता। यदि थोड़े समय की बीमारी है तो इस को कम समय लगेगा और यदि मरीज सब तरफ से दवाई खाकर थक कर आया है तो उस का ईलाज लम्बा हो सकता है। यहां यह बात बतानी बहुत महत्वपुर्ण है कि हम अंग्रेजी दवाई तो सारी उम्र खाते रहते हैं, वहां ईलाज लम्बा नहीं लगता और यदि होम्योपैथी कुछ महीने खानी पड़ जाए, जहां ईलाज में मरीज का बीमारी से मुक्त होना सम्भव है, वह मुश्किल लगती है। बड़ी हैरानी और दुख होता है जब आम लोगों में यह धरणा पाई जाती है कि होम्योपैथी को पूरी तरह समझते नहीं।
6. अक्सर मरीज सोचते हैं कि यदि हम होम्योपैथी ईलाज शुरु करेंगे तो अंग्रेजी दवाईयां बंद करनी पड़ेंगी।
सच्चाई: यह धरणा भी गलत है। कई होम्योपैथी डाक्टर भी ऐसे हैं जो मरीज की अंग्रेजी दवाई जो वह कई वर्षों से खा रहा है, एक दम बंद कर देते हैं। बल्ड प्रैश्र, शूगर, थइराइड, मिरगी और कई ऐसी बीमारियां हैं, जिनकी दवाई तुरंत बंद नहीं की जा सकती। यदि हम यह दवाई एक दम बंद कर देंगे तो मरीज का शरीर जो इन दवाईयों से ठीक रहता है, एक दम इन बीमारियों को उभार देगा जो कि मरीज के लिए भी खतरनाक है और होम्योपैथी सिस्टम के लिए भी। पहले एक सही होम्योपैथिक दवाई का चुनाव करो, जब आपको लगे कि मरीज का बल्ड प्रैश्र या शूगर या और बीमारियां थोड़ा ठीक होने की तरफ जा रही हैं तो अंग्रेजी दवाई को कम करके बंद करो। एक ही दिन सब कुछ बंद नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से मरीज ध्ीरे ध्ीरे होम्योपैथी को अपनाने लगेगा। उसका शरीर होम्योपैथी को अपनाने लग जाएगा और दूसरी दवाईयों को छोड़ना उसके लिए आसान हो जाएगा। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई भी अंग्रेजी दवाई, होम्योपैथी के साथ ली जा सकती है। यह नहीं होता कि अब अंग्रेजी दवाई ली है और होम्योपैथी का असर खत्म हो गया। अंग्रेजी दवाईयां भौतिक स्तर पर काम करती हैं जिनका असर कुछ समय के लिए ही होता है, होम्योपैथी दवाईयां कलदंउपब रुप में काम करती हैं, जिनका असर कई कई हफते, महीने और वर्षों रहता है।
7. अकसर लोगों को यह कहते सुना है कि होम्योपैथी में टैस्टों की कोई जरुरत नहीं।
सच्चाई: यह धरणा बिलकुल गलत है। जी नहीं, हमें भी टैस्टों की उतनी ही जरुरत है जितनी कि मार्डन साइंस को। मान लो किसी मरीज के शरीर के किसी हिस्से में कोई रसौली या पत्थरी है या उस का बल्ड प्रैश्र बढ़ता है या उसकी शूगर बढ़ती है, यदि उसका हमें माप या साईज पता नहीं होगा तो हम यह कैसे बता सकेंगे कि क्या उसका ईलाज होम्योपैथी में सम्भव है या नहीं या उसके ईलाज को कितना समय लग सकता है या क्या आपरेशन ही इसका एक ही इलाज है या मरीज की हालत बहुत गम्भीर है और उसकी जिन्दगी का प्रश्न है। टैस्ट करवाने से हमें मरीज की बीमारी की तीबरता का पता लगता है। हमें बीमारी के नाम के बारे जानने की इतनी जरुरत नहीं होती परन्तु वह बीमारी कितनी बढ़ चुकी है, यह जानने के लिए टैस्ट करवाने बहुत जरुरी हैं।
8. एक और धरणा कि होम्योपैथी पहले बीमारी को बाहर निकालती है और फिर ठीक करती है।
सच्चाई: यह धरणा भी गलत है। होम्योपैथी में बीमारी का बढ़ना एक अच्छा लक्षण माना जाता है पर कितना बढ़ जाना, ऐसे न हो कि मरीज का बुरा हाल ही हो जाए। यदि मरीज की बीमारी बढ़ती भी है पर उसको अंदरुनी मानसिक तौर पर उसकी पीड़ा कम होनी चाहिए। यह माना जाता है कि हमारे शरीर के अन्दर कुछ जहरीला मादा धीरे ध्ीरे जमा होता जाता है जो बढ़ बढ़ कर एक बीमारी का रुप धरण कर जाता है। जब एक सही दवाई का चुनाव होता है तो यह गन्दा मादा [expulsions] के रुप में बाहर निकलना शुरु हो जाता है। मरीज को शौच, उल्टियां, जुकाम, रेशा, गुस्सा बढ़ जाना आदि किसी भी बाहरमुखी द्वार के द्वारा यह मादा बाहर निकलना शुरु हो जाता है। यह कुछ दिनों बाद ठीक हो जाता है पर इन दिनों में मरीज मानसिक रुप में पहले से अच्छा महसूस करता है। यदि मरीज की बीमारी बहुत बढ़ जाती है तो इसका यह भी मतलब है कि दवाई का चुनाव सही नहीं हुआ या दवाई का बीमारी पर असर नहीं हुआ या एक और लक्षण भी हो सकता है कि दवाई की ताकत बहुत हल्की या ज्यादा दी गई।
9. एक बहुत ही महत्वपूर्ण गलत धरण है कि होम्योपैथी में सटीराईड [steroids] इस्तेमाल किया जाता
: यह धरणा तो बिलकुल गलत है। पहली बात तो यह है कि होम्योपैथी में कोई भी सटीराईड नहीं होते। दूसरी बात यह कि मरीज तो हमारे पास पहले से ही इतनी ताकतवरAntibiotics और steroids खाकर आए होते हैं और हम उनको सटीराईड क्या दें। यहां साथ ही मैं एक चेतावनी भी देना चाहती हूं कि जो डाक्टर कई कई दवाईयां मिला कर, पीस कर बड़ी बड़ी पुड़ियां बना कर देते है, उनसे सावधन रहें।
10. यह धरणा कि होम्योपैथी सिर्फ छोटी छोटी मीठी गोलियों की चिकितसा प्रणाली है जिस को लोगों ने पलैसीबो थिरैपी का नाम भी दिया है क्योंकि वैज्ञानिकों ने किसी भी दवाई की 12ब् या 24ग ताकत के बाद दवाई के भौतिक तत्व नहीं ढूंढते।
सच्चाई: यह धरणा बिलकुल गलत है कि यह एक पलैसिबो थिरैपी है। पर साथ ही यह भी एक सच्चाई है कि वैज्ञानिकों को किसी भी दवाई की 12c या 24x ताकत के बाद दवाई के भौतिक तत्व नहीं मिलते। दुनियां भर के सब होम्योपैथिक डाक्टरों का मानना है कि जैसे जैसे दवाई की ताकत बढ़ती है, चाहे उस में भौतिक तत्व और कम हो जाते हैं, पर उस की मरीज को ठीक करने की ताकत और बढ़ जाती है। यह एक बार नहीं, सौ बार भी नहीं, हजार बार नहीं, बल्कि लाखों करोड़ों बार बार-बार अजमाया जा चुका है। यदि यह पलैसिबों थिरैपी होती तो इस का असर छोटे बच्चों और जानवरों पर कैसे होता? रसौलियां, पत्थरियां, भौरियां पर कैसे होता? होम्योपैथी जानवरों के केसों पर बहुत लाभदायक सि( हुई है। शायद अभी वैज्ञानिक इतनी ज्यादा खोज करने में असमर्थ हैं, पर आने वाले समय में इन धरणाओं द्वारा ही प्रमाणित किया जाएगा। उस समय इस प्रणाली को पलैसिबो थिरैपी नहीं माना जाएगा बल्कि मार्डन सिस्टम के बराबर माना जाएगा।
11. एक और धरणा कि होम्योपैथी के गलत असर [side effect] नहीं होते।
सच्चाई: यह धरणा भी गलत है। कौन कहता है कि कोई भी चीज जो हमारे शरीर के अंदर जाती है, कोई भी असर नहीं करती। यह क्यों माना जाता है इस के गलत असर नहीं होते। क्यों आज तक यह उन लोगों के हाथों में रही, जिन्होंने सिर्फ इसको शौंक के तौर पर अपनाया। अकसर देखा गया है कि होम्योपैथी को लोगों ने एक काम के तौर पर नहीं बल्कि लोगों की सेवा और मनोरंजन के लिए अपनाया। कुछ किताबें पढ़ीं और 2-4 शीशी दे दीं। चाहे इस का असर सीध्े तौर पर गलत असर कम होता है पर डा. हैनीमैन के समय से यह किताबों में लिखा हुआ है कि यदि यह दवाईयां बिना किसी बीमारी के हर रोज ली जाएं तो कुछ समय बाद यह उस इनसान के अन्दर अपने लक्षण पैदा कर देती हैं। मनुष्य के शरीर में जो दवाई बार बार, बिना डाक्टर की सलाह से ली जाए, उस का कोई न कोई गलत असर जरुर हो सकता है। आज के समय में हमारे डाक्टर एम.डी. की डिगरी कर रहे हैं, और बड़ी योग्यताएं प्राप्त कर रहे हैं और साथ में यह भी प्रचार करते हैं कि दवाई का इस्तेमाल हल्की मात्रा के अनुसार ही करना चाहिए। पूरे पंजाब में क्या, पूरे देश भर में यह लहर चल रही है कि एक ही सही दवाई का चुनाव करो और उसको हल्की मात्रा में दो ताकि बाद में कोई भी गम्भीर प्रणाम न भुगतना पड़े।
मेरा यह लेख लिखने का उद्देश्य पाठकों के मनों में होम्योपैथी से जुड़े भ्रम दूर करना था और मैं उम्मीद करतa हूं कि मेरा यह सन्देश आम जन साधरण तक जरुर पहुंचेगा और होम्योपैथी को और आगे लेकर जाएगा। होम्योपैथी को छोटी मीठी गोलियों वाली पलैसिबो चिकित्सा प्रणाली न समझें, इसको अपनाओ और गम्भीर से गम्भीर बीमारी से मुक्ति पाओ। होम्योपैथी एक खजाना है जो अपने अन्दर बहुत कुछ करने की ताकत रखता है। आओ हम इस खजाने को ढूंढें और अपनाएं।
Wednesday, November 11, 2009
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congratulation sir.... isme thodi se error rah gai hai ise edit kar len.... 2-3 word english ke hai ise arial font me convert kar len...
ReplyDeleteMany Many thanks for this
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